|| माँ प्रत्यङ्गिरा ||

*सावधान*
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यह ब्लॉग सिर्फ जानकारी मात्र के लिए है |
इस ब्लॉग पर दी गयी सभी साधनाओं को करने के लिए उनकी विधियाँ यहाँ पर नहीं दी गयी हैं, कृपया किसी के उचित मार्गदर्शन में ही ये साधनायें करें, यह दुष्कर साधनायें हैं, थोड़ी से भी गलती होने पर प्राण संकट में पड़ सकते हैं, या प्राण पखेरू भी हो सकते हैं | सभी साधनाओं को करने की अलग-अलग विधियाँ होती हैं, स्वयं से विधि बनाकर करने से साधना विपरीत दिशा में चली जाती है,  जिसके परिणाम के आप स्वयं जिम्मेदार होंगे |
इतने किसी अच्छे जानकर या गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त हो सिर्फ शतनाम, सहस्रनाम या साधारण स्तोत्र का ही जप एवं पाठ करना चाहिए |     



प्रत्यङ्गिरा साधना का उद्देश्य स्वयं की रक्षा करना एवं शत्रु को परास्त करने हेतु किया जाता है | यहाँ शत्रु कोई रोग, दोष, अनिष्ट ग्रह, भूत-प्रेत-पिशाच, किसी भी प्रकार का अभिचार, कृत्या, काला जादू, या कोई व्यक्ति विशेष या कोई नभचर-जलचर-पृथ्वी चर भी हो सकता है | 


प्रत्यङ्गिरा को अथर्वण काली भी कहा जाता है, यह रावण की कुल देवी भी हैं वहाँ पर देवी निकुम्बाला के नाम से विख्यात हैं, जो की भद्रकाली का ही एक विराट रूप हैं | उत्तर भारत में लोग बहुत कम हैं जो माता प्रत्यङ्गिरा के बारे में जानते हैं, दक्षिण में प्रत्यंगिरा को बहुत पूजा जाता है वहां देवी के अनेको मंदिर हैं |  

इसी शक्ति के बल पर इंद्रजीत ने देवराज इंद्र पर विजय प्राप्त कर इंद्र  को बंधक बनाकर लंका में ले आया था और इसी शक्ति के बल पर आकाश भैरव नृसिंह भगवान् का क्रोध  शांत कर सके |


यह शक्ति इतनी उग्र है की पल भर में अपने शत्रु को बिजली जैसा झटका देकर मार देती है | प्रत्यङ्गिरा देवी के अनेको प्रयोग हैं जिनमे से महाविपरीत प्रत्यंगिरा प्रयोग सबसे घातक है जो की कभी भी असफल  नहीं होता | 

इस शक्ति का प्रयोग एक लाख बार सोच कर ही करना चाहिए क्युकी कई बार हम सोचते कुछ और हैं, होता कुछ और है |  इसका प्रयोग अपने बचाव में ही करना चाहिए या शत्रु द्वारा किये गए किसी महाभयंकर प्रयोग (चौकी, घायल, मूठ, गड़ंत या खाने-पीने में किये गए अभिचार आदि) को नष्ट करने एवं शत्रु  को दण्डित करने या किसी के द्वारा किये गए तंत्र को वापस लौटने के लिए ही इसका प्रयोग करें | 

सत्कर्मी व्यक्ति पर कभी भी इस शक्ति का दुरूपयोग न करें अन्यथा यह शक्ति साधक को उसके करे का दंड अवश्य देती है  या फिर प्राण भी हर सकती है | इस शक्ति का प्रयोग किसी का बुरा करने में न करें हमेशा भलाई के लिए ही प्रयोग करें | 


यह शक्ति ब्रह्मास्त्र तक को भी पलटने में सक्षम है इस शक्ति का प्रयोग शत्रु की सीमा और बल को आंकने के बाद ही करें, वैसे तोह यह शक्ति सर्वकार्य करने में सिद्ध है |