Thursday, 30 January 2020

।। श्री आकाशभैरव चित्रमाला ।।

विनियोगः- ॐ श्री आकाशभैरवरस्य चित्रमाला नाममंत्रस्य श्रीआनन्दभैरव ऋषिः, गायत्री छन्दः श्रीआकाशभैरव देवता, हीं बीजं, हुं शक्तिः, सर्वाभीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोगः । 

ऋष्यादिन्यासः- 
ॐ श्रीआनन्दभैरव ऋषये नमः शिरसि । 
ॐ गायत्री छन्दसे नमः मुखे । 
ॐ आकाशभैरव देवतायै नमः हृदि । 
ॐ ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये । 
ॐ हुं शक्तये नमः पादयोः । 
सर्वाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे । 

करन्यासः- 
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः । 
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा । 
ह्रूं मध्यमाभ्यां वषट् । 
ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां हूं । 
ॐ ह्रौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् । 
ॐ ह्रः करतलकर-पृष्ठाभ्यां फट् । 

अङ्गन्यासः- 
ॐ ह्रां हदयाय नमः । 
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाह । 
ॐ ह्रूं शिखायै वषट् । 
ॐ ह्रैं कवचाय हुं । 
ॐ ह्रौं नेत्र-त्रयाय वौषट् । 
ॐ ह्रः अस्त्राय फट् । 

॥ ध्यानम् ॥ 
सहस्त्रपाणि-पद्-वक्त्रं सहत्र-त्रय-लोचनम् । 
सर्वाभीष्टप्रद देवं, स्मरेद् आकाश-भैरवम् ॥ 

॥ मानस पूजन ॥ 
ॐ लं पृथ्विीव्यात्मकं गन्धं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि । ॐ हं आकाशात्मकं पुष्पं श्रीआकाशभैरव पादुकायां नमः अनुकल्पयामि ।
ॐ यं वाय्वात्मकं धूपं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि । 
ॐ रं वह्नयात्मकं दीपं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि । 
ॐ वं जलात्मकं नैवेद्यं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनु कल्पयामि ।
ॐ शं शक्त्यात्मकं ताम्बूलं श्रीआकाशभैरव पादुकाभ्यां नमः अनुकल्पयामि । 

॥ मालामंत्र ॥ 

“ॐ नमो भगवते आकाश-भैरवाय निखिल-लोक-प्रियाय प्रणत-जन-परिताप-विमोचनाय सकल-भूत-निवारणाय सर्वाभीष्ट-प्रदाय नित्याय सच्चिदानन्द-विग्रहाय , सहस्र-बाहवे सहस्र-मुखाय सहस्र-त्रिलोचनाय सहस्र-चरणाय करालाय अखिल-रिपु-संहार-कारणाय , अनेक-कोटि-ब्रह्म-कपाल-माला-अलंकृताय नर-रुधिर-मांस-भक्षणाय महाबल-पराक्रमाय महा-दन्तराय , विष-मोचनाय पर-मंत्र-यंत्र-तंत्र-विद्या-विच्छेदनाय प्रसन्न-वदनांबुजाय एह्येहि आगच्छागच्छ , ममाभीष्टं आकर्षय-आकर्षय आवेशय-आवेशय मोहय-मोहय भ्रामय-भ्रामय द्रावय-द्रावय तापय-तापय सिद्धय-सिद्धय बन्धय-बनधय भाषय-भाषय क्षोभय-क्षोभय भूतप्रेतादि-पिशाचान्-मर्दय-मर्दय कुर्दम-कुर्दम पाटय-पाटय मोटय-मोटय गुम्फय-गुम्फय कम्पय-कम्पय ताडय-ताडय त्रोटय-त्रोटय भेदय-भेदय छेदय-छेदय चण्ड-वातांति-वेगाय सन्तत-गम्भीर-विजृंभणाय, संकर्षय-संकर्षय संक्रामय-संक्रामय प्रवेशय-प्रवेशय स्तोभय-स्तोभय स्तंभय-स्तंभय तोदय-तोदय खेदय-खेदय तर्जय-तर्जय गर्जय-गर्जय नादय-नादय रोदय-रोदय घातय-घातय वेतय-वेतय सकल रिपु-जनान् छिंधि-छिंधि भिंदय-भिंदय अंधय-अंधय रुंधय-रुंधय नर्दय-नर्दय बन्धय-बन्धय श्रीं ह्रीं क्लीं कल्याणकारणाय श्मशानानन्द-महाभोगप्रियाय देवदत्तं (अमुकं) आनय-आनय दूनय-दूनय केलय-केलय मेलय-मेलय प्रपन्न वत्सलाय प्रति वदन दहनामृत किरण नयनाय सहस्र-कोटि-वेताल-परिवृत्ताय मम रिपुन उच्चाटय-उच्चाटय नेपय-नेपय , तापय-तापय सेचय-सेचय मोचय-मोचय लोटय-लोटय स्फोटय-स्फोटय ग्रहण-ग्रहण अनन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटक-पद्म-महापद्म-शंख-गुलिक-महानागभूषणाय, स्थावर-जङ्गमानां विषं नाशय-नाशय प्राशय-प्राशय भस्मी-कुरु भस्मी-कुरु भक्त-जन-वल्लभाय सर्ग-स्थिति-संहारकारणाय कथय-कथय सर्व शत्रून् उद्रेकय-उद्रेकय विद्वेषय-विद्वेषय उत्सादय-उत्सादय उत्पाटय-उत्पाटय बाधय-बाधय साधय-साधय दह-दह पच-पच शोषय-शोषय पेषय-पेषय दूरय-दूरय मारय-मारय भक्षय-भक्षय शिक्षय-शिक्षय समस्त भूतं शिक्षय-शिक्षय श्रीं ह्रीं क्लीं क्ष्म्रयैं अनवरत ताण्डवाय आपदुद्धारणाय साधुजनान् तोषय तोषय भूषय-भूषय पालय-पालय शीलय-शीलय काम-क्रोध-लोभ-मोह-मद-मात्सर्य शमय-शमय दमय-दमय त्रासय-त्रासय शासय-शासय क्षिति-जल-दहन-मरुत-गगन-तरणि-सोमात्म-शरीराय शम-दमोपरति-तितिक्षा-समाधानं-श्रद्धां दापय-दापय प्रापय-प्रापय विघ्नं-विच्छेदनं कुरु-कुरु रक्ष-रक्ष क्ष्म्रयैं क्लीं ह्रीं श्रीं ब्रह्मणे स्वाहा !!”