विनियोग:- ॐ अस्य: श्री प्रत्यङ्गिराम्बा महामन्त्रस्य आङ्गिरसौ प्रत्यङ्गिरसौ ऋषय: गायत्री छंद: श्री प्रत्यङ्गिराम्बादेवता, ॐ बीजं, ह्रीं शक्ति:, मम श्री प्रत्यङ्गिराम्बा प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः |
करन्यास:-
ॐ ह्रीं क्षं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |
भक्ष ज्वालाजिव्ह्ये तर्जनीभ्यां नमः |
कराल दंष्ट्रे मध्यमाभ्यां नमः |
प्रत्यङ्गिरे अनामिकाभ्यां नमः |
क्षं ह्रीं कनिष्ठिभ्याम नमः |
हुं फट करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः |
अङ्गन्यास:-
ॐ ह्रीं क्षं हृदयाये नमः |
भक्ष ज्वालाजिव्ह्ये शिरसे स्वाहा |
कराल दंष्ट्रे शिखाये वषट |
प्रत्यङ्गिरे कवचाये हुं |
क्षं ह्रीं नेत्रत्रयाये वौषट |
हुं फट अस्त्राये फट |
ध्यानम
सिंहीं सिंहमुखीम सखीं भगवतीम श्री भैरवस्योल्लसत
शूल स्थूल कपाल पाश डमरू व्याग्राग्रहस्ताम्बुजाम |
दंष्ट्रा कोटि विशङ्गटास्यकुहरां आरक्त नेत्रत्रयां
बालेंदूज्ज्वल मौलिकां भगवतीम प्रत्यङ्गिरा भावये ||
मंत्र:-
ॐ ह्रीं क्षं भक्ष ज्वालाजिव्ह्ये करालदंष्ट्रे प्रत्यङ्गिरे क्षं ह्रीं हुं फट |